Vimal Series

जुर्म की आंधी में पत्ते की तरह उड़ते, पनाह तलाश करते, निरंतर जुल्म के खिलाफ लड़ते महानायक की महागाथा

 विमल उर्फ सोहल

  • सात राज्यों में घोषित इश्तिहारी मुजरिम,फिर भी आवारागर्द कुत्ते जैसी दुर् दुर् करती जिंदगी 
  • कई बैंक डकैतियों के लिए जिम्मेदार, फिर भी गुनाह के अंध में खूंटे से उखड़ा 
  • कई हत्याओ के लिए जिम्मेदार नृशंस हत्यारा,फिर भी खुद अपनी सलामती के लिए पनाह मांगता 
  • दुश्मनों का पुर्जा-पुर्जा काट डालने वाला जालिम, फिर भी दीन के हित में लड़ने वाला, मजलूम का मुहाफिज 

"विमल सीरीज करिश्माई वाकयात और मिकनातीसी किरदारनिगारी की जुगलबंदी से पैदा होने वाला एक ऐसा करिश्मा है जो सालोंसाल इंतज़ार के बाद कभी एक बार वाकया होता है "

न भूतो न भविष्यति ! विमल

45

गृहस्थ जीवन के सपने के चकनाचूर होने के बाद जब विमल ने एक बार फिर खुद को पाप की नगरी में पाया तो उसे अहसास हुआ कि अपराध और उसका साथ तो जन्म जन्म का है ! 
43
विमल का संकल्प था कि दिल्ली जा कर बीवी-बच्चे के साथ एक साधारण ग्रहस्थ बन कर रहेगा, अपने हाहाकारी अतीत को हमेशा के लिए भुला देगा, लेकिन दो महीने बाद ही तूफ़ान से पहले की शांति की तरह एक रोज ऐसा अंधड़ उठा के वो उसके साथ तिनके की तरह उड़ता चला गया और जब होश आया तो खुद को वहां पाया जहाँ न होने का उसका संकल्प था!
41
सबका तो मदावा कर डाला, अपना ही मदावा कर न सके; सबके  तो गरेबां सी डाले, अपना ही गरेबां भूल गए 
ये थी विमल की ट्रेजडी जिसके आगे वो बेबस था 



39
मैं ही मुंसिफ हूं, मैं ही मुजरिम हूं;
कोई सूरत नहीं रिहाई की 
ये था विमल का खुद अपना आकलन; लेकिन अपने मुरीदों के लिए वो था चैम्बूर का दाता 



37
"मैं मेरा घर जालिया, लिया पतीला हाथ;
जो घर जारो आपना, चलो हमारे साथ 
"
क्या ज़मीर का कैदी अपने ज़मीर से आjaद हो पाया ?

35
ये 'खेल' नहीं आसां, बस इतना समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
क्या विमल आग का दरिया पार कर सका?

33
"उसके सिर पर दशमेश पिता का हाथ है  वो काल पर फतह पाया, पीर-पैगम्बरों जैसी सलाहियात वाला मायावी है  उसके हजार हाथ हैं  वो अकेला ही सवा लाख है "
ये थे विमल के दुश्मनों के उसके प्रति उद्गार

31
कुछ ऐसे थे कल तक सोहल से खौफ खाए अंडरवर्ल्ड के बड़े महंतों के नापाक और हौलनाक इरादे जो सोहल लिए ही नहीं, उसके तमाम मोहसिनों के वजूद के लिए खतरा बन गए 

29
जब अतीत की कब्र से उठकर एक आततायी ने विमल के सुखी संसार में आग लगनी चाही तो उसके जीवन में ऐसा तूफान आया कि उसे मानना पड़ा, विमल के दो नहीं हजार हाथ थे 

27
सौ करोड़ की विपुल धनराशि पर काबिज होने के लिए मची छीना झपटी की सनसनीखेज दास्तान - जिसमें अहम किरदार गजरे और सोहल ही नहीं और सुपर गैंगस्टर भी थे 

25

जिसकी तकदीर पत्थर की कलम से लिखी गयी हो, जिसको उसका बनाने वाला कुत्ते जैसी दुरदुर करती जिंदगी जीने के काबिल समझता हो, उसका डार से बिछुड़ने के बाद मौत के मुंह में जाकर गिरना ही अपेक्षित था 


 23

परोपकार की भावना ने ना केवल विमल की जिंदगी का दुर्लभ ठहराव छीन लिया था बल्कि उसे जिंदगी के एक ऐसे मोड़ पे ला खड़ा किया था जहाँ से हर रास्ता मौत की तरफ जाता था 


 21

एक पीड़ित लड़की की हमलावर बांह की फरियाद सुनकर विमल निर्लिप्त ना रह पाया  शीघ्र ही उसने खुद को जहाज के पंछी की भांति अपनी गुनाह से पिरोई जिंदगी के रूबरू पाया  


 19

जद्दोजहद के बाद विमल ने एक नए चेहरे के साथ जब नगरी में प्रवेश किया तो पाया कि नगरी अभी भी उन्हीं पापियों से भरी पड़ी थी 


17
सरदार सुरेन्द्र सिंह सोहल के चेहरे पर चढा नया चेहरा ब्लास्ट के चीफ रिपोर्टर सुनील को समर्पित  आखिर वो सुनील ही था जिसने सोहल को नयी जिंदगी दी थी  

15
हालात ने कुछ ऐसी करवट बदली थी कि विमल को अपने जीवन के उद्देश्य और अस्तित्व पे ही  सवालिया चिन्ह नजर आया  लेकिन उसके प्रारब्ध को शायद कुछ और ही मंजूर था  जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां!                           

 13

एक ऐसी गाथा जिसका शब्दों में वर्णन असंभव है  एक ऐसी गाथा जिसने सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिंदी उपन्यासकारों का अविवादित सिरमोर बना दिया  बखिया पुराण का दूसरा अध्याय 


 11

विमल की अपने अंधेरे, भुला देने योग्य अतीत से   एक मुठभेड़ जिसे वो जीत कर भी हार गया  बखिया पुराण का असम्मिलित अध्याय


9
द्वारकानाथ से जीवनमूल्यों की नई सीख पाकर विमल एक और अपराध के लिये तैयार था, एक ऐसा अपराध जिसमें उसका खुद का निहित स्वार्थ छुपा हुआ था ।  क्या उसकी किस्मत में इस अपराध का फल चखना था ?
7
भाग्य की कैसी विडम्बना थी कि छः राज्यों में घोषित इश्तिहारी मुजरिम, कई हत्याओं के लिए जिम्मेदार विमल एक ऐसे अपराध की एवज में पकड़ा गया था जो उसने किया नहीं था 

5
आज तक विमल को हमेशा दोस्तों के रूप में दुश्मन ही मिले थे  मुद्दतों बाद जब एक मुहाफिज दोस्त से मुलाकात हुई तो विमल की तकदीर को शायद उसकी जिंदगी में ये शान्ति और सुकून रास ना आया   

  3

विमल की तलाशी में पुलिस को रिवॉल्वर और नोट बरामद हुए और फिर विमल के हाथों में हथकड़ियां ! विमल ने सोचा खेल खत्म  क्या सचमुच ?


1

अपनी सैलाब जैसी जिंदगी में ठहराव तलाशते, अपने अतीत से शर्मिंदा, वर्तमान से आशंकित और भविष्य से आतंकित महानायक सरदार सुरेन्द्र सिंह सोहल उर्फ विमल की महागाथा का पहला और अविस्मरणीय अध्याय 


 
46

नीलम नीलम की मौत से पूरी तरह टूट कर

बिखर चुके विमल की मुंबई अंडरवर्ल्ड के चार

खलीफाओं के साथ संघर्ष की विस्फोटक

कहानी !

 44 

वाहेगुरु के खालसा, गुरां दे सिंह, सोहल की अपने दुश्मनों को ललकार'मैं वाहेगुरु जी का खालसा हूं। मैं गुरां दा सिंह हूं। मैं बादलों की तरह गरजूंगा और उतनी ही बुलंद आवाज में अपना क़हर दुश्मनों पर नाजिल करूंगा। मेरी ललकार बैरियों का वजूद थरथरा देगी। मेरी चीत्कार शोले बनकर उनकी औकात पर बरसेगी।''

42
चैन और सुकून तलाशते विमल के सामने जब फिर दुश्मन उठ खड़े हुए तो उसे याद आया कि उसका वाहेगुरु उसे ‘खेत’ छोड़ने की इजाजत नहीं दे सकता था, और उसे तो बस ‘सूरा’ बनकर दीन के हित में लड़ते ही जाना था, लड़ते ही जाना था 

40
जिंदगी उसी का साथ देती है जिसको जिंदगी का मोह न सताता हो  जो मौत से पंजा  को सदा तैयार रहता हो  
हरदिल अजीज सोहल की जिंदगी का फलसफा



38
"कुछ न कहने से भी  जाता है ऐजाजे सुखन जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है"
इसलिये ज़मीर के कैदी का, कर्मयोद्धा का पलटवार जरूरी था


36
वो एक दोस्त था जिसने विमल से नहीं उसके जमीर से एक फरियाद की  एक दोस्त की पुकार पे  अपनी जान हथेली पे लेकर निकल पड़े सोहल की हाहाकारी कहानी 

34
"अनजाने में शेर सवारी कर बैठा हूं; अब न चढ़ते बनता है, न उतरते बनता है  चढा रह नहीं सकता, उतरूंगा तो शेर खा जाएगा "
क्या शेर का निवाला बनना ही विमल की नियति है?

32
जौहर ज्वाला किसी को भस्म कर देती है तो किसी के लिए ओस की बूंद बन जाती, तो कोई उसमें से कुंदन बन के निकलता है 
सोहल पर क्या बीती ?

30
विमल से चोट खाए महंतों ने जब एकजुट होकर दमन चक्र चलाया तो इतने मासूमों और मोहसिनों का खून बहा कि विमल की आत्मा भी चीत्कार कर उठी 

28
कंपनी की डूबती साख, उसके सुप्रीमो गजरे के गिरते मनोबल, ऑर्गेनाइज्ड क्राइम के महंतों की क्षीण होती ताकत और उनके अंडरवर्ल्ड एम्पायर की ढहती दीवारों की महागाथा जो कि अल्टीमेटम से शुरू हुई 

26
कंपनी के सुपर बॉस समेत सभी ओहदेदारों को विमल की खुली चेतावनी जिससे कोई भी निर्लिप्त ना रह पाया   

24
गुनाह के जहाज से उड़कर वापस जहाज पर ही पनाह पाया पंछी दिल्ली में पत्ते की तरह डाल से टूटा था और हालात की आंधी में बम्बई जाकर गिरा था  पंछी के पास तो वापस जाने का विकल्प था भी पर क्या डाल से टूटा पत्ता भी वापस जुड सकता था ?

22
अपने  अंजाम से बेखबर जहाज के पंछी ने जब खबरदार शहरी बन कर पूरे शहर का मुहाफिज बन दिखाया तो जैसे एक जलजला सा आ गया, जिससे शहर का कोई भी बाशिंदा अछूता ना रह पाया 

20

जिस कानून से विमल भागता फिर रहा था, उसी कानून के एक मुहाफिज ने जब विमल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो विमल मना नहीं कर पाया  कदम कदम पर दुश्मनों से घिरे विमल के लेख में ये एक नया पड़ाव था 

18

जिंदगी में ठहराव और सुकून की खोज में विमल ने जैसे तैसे करके एक नया चेहरा तो हासिल कर लिया, पर क्या वो चेहरा उसे कोई सुकून दिला पाया ? या एक बार फिर उसकी किस्मत ने अपना खेल दिखा दिया ?


16
हालात ने कुछ ऐसी करवट बदली थी कि विमल को अपने जीवन के उद्देश्य और अस्तित्व पे ही  सवालिया चिन्ह नजर आया  लेकिन उसके प्रारब्ध को शायद कुछ और ही मंजूर था  जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां!
14
एक ऐसी गाथा जिसका शब्दों में वर्णन असंभव है एक ऐसी गाथा जिसने सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिंदी उपन्यासकारों का अविवादित सिरमोर बना दिया  बखिया पुराण का अंतिम अध्याय 

12

एक ऐसी गाथा जिसका शब्दों में वर्णन असंभव है  एक ऐसी गाथा जिसने सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिंदी उपन्यासकारों का अविवादित सिरमोर बना दिया  बखिया पुराण का पहला अध्याय 


 10

पाठक संसार के दो सितारों की कशमकश की एक ऐसी दास्तान जिसका तेजरफ्तार कथानक पाठकों को  बांधे रखता है और अंत भावविभोर कर डालता है 

 8

एक ऐसी डकैती की तेजरफ्तार कहानी जिसने समाज के स्थापित आदर्शों, और मान्यताओं के प्रति विमल का नजरिया ही बदल डाला 


6
ढेरों खून बहा, कई हत्याएं हुई और 48 लाख के नोटों से भरी वैन लुट गयी  लेकिन विमल के हिस्से में क्या आया - पिस्तौल की एक गोली 

4
वो बैंक एक किले जैसी सुदृढ़ इमारत में था जिसके सुरक्षा साधनों का कोई सानी ना था  फिर भी वो बैंक लुट गया  अमृतसर के भारत बैंक के वॉल्ट की लूट की हैरतंगेज दास्तान 

2

बम्बई से तो विमल भागकर मद्रास आ गया, लेकिन क्या अपनी किस्मत से भागना इतना आसान था ? एक बार फिर विमल ने ना चाहते हुए भी खुद को एक जुर्म में शामिल पाया 

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