मैं खेद के साथ लिख रहा हूं कि ‘जो लरे दीन के हेत’ के माध्यम से विमल को वो मुक्तकंठ प्रशंसा न प्राप्त हो सकी जो कि हार्पर कॉलिंस से प्रकाशित मेरे पिछले उपन्यास ‘कोलाबा कांस्पीरेसी’ में जीतसि...


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